मेरठ – विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय के "स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज" द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसका विषय “खाद्य सुरक्षा के लिए मृदा में जैविक कार्बन बढ़ाने की नीतियां” था। इस संगोष्ठी में देशभर से आए एक दर्जन से अधिक प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों ने भाग लिया और मृदा की उर्वरता को बढ़ाने के विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा की।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर (डा.) यशवीर सिंह 'शिवाय', जो विश्व के शीर्ष पांच कृषि वैज्ञानिकों में गिने जाते हैं और आईएआरआई पूसा, नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक हैं, ने कहा कि हमारी सेहत सीधे तौर पर मृदा की सेहत पर निर्भर करती है। उन्होंने रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग के दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि गोबर, गौमूत्र, गुड़, और हरी खाद के उपयोग से न केवल बंजर भूमि को पुनः उपजाऊ बनाया जा सकता है, बल्कि रासायन मुक्त स्वस्थ खाद्यान्न का उत्पादन कर सेहतमंद जीवनशैली अपनाई जा सकती है।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में संस्थापक अध्यक्ष श्री सुधीर गिरि ने अपने वक्तव्य में कहा, "स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत का सपना जैविक खेती और हरित क्रांति के माध्यम से ही साकार होगा।" उन्होंने यह भी घोषणा की कि आगामी फरवरी माह से विश्वविद्यालय में एक "मृदा परीक्षण लैब" स्थापित की जाएगी, जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की जमीन की सेहत की जांच निशुल्क की जा सकेगी।
सेमिनार में उपस्थित प्रतिकुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी ने मृदा के परीक्षण और उसके महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मृदा में जैविक कार्बन को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. वी.पी.एस. अरोड़ा और अन्य कृषि वैज्ञानिकों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी के दौरान "मोटे अनाज एवं जैविक खाद्य पदार्थों की प्रदर्शनी" का आयोजन भी किया गया, जिसमें एग्रीकल्चर के छात्रों ने अपने उत्पादों के स्टॉल लगाकर जैविक खेती के महत्व पर जोर दिया। विजेताओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में कुलपति प्रो. (डा.) कृष्ण कान्त दवे, डीन एग्रीकल्चर डॉ. टी.पी. सिंह, और अन्य प्रमुख कृषि विशेषज्ञों ने भी संबोधन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षक, छात्र, और शोधार्थी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन डॉ. ज्योति सिंह द्वारा शानदार संचालन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने जैविक खेती के महत्व और इसके सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला।
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