मेरठ। इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग के सहयोग से एमआईईटी में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग दिवस पर सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की उपलब्धियों और रोजमर्रा की जिंदगी में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना रहा। सेमिनार में वक्ता के रूप में इसरो के सेवानिवृत्त निदेशक प्रोफेसर अनिल चंद माथुर, इसरो प्रयोगशाला अहमदाबाद के वैज्ञानिक डॉ हरिओम वत्स, इसरो उपग्रह मौसम विज्ञान के अनुभवी विशेषज्ञ डॉ आलोक माथुर रहे। सेमिनार चंद्रयान 3 मिशन और आम आदमी के लिए अंतरिक्ष अनुप्रयोगों पर केंद्रित रहा।
अनिल चंद माथुर ने कहा की भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के पितामह विक्रम साराभाई का देश में अंतरिक्ष विज्ञान, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक, शिक्षा व प्रबंधन के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रहा है। जिसके लिए उनको शान्ति स्वरूप भटनागर, पद्म भूषण व पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि विक्रम साराभाई की स्मृति में हर साल 12 अगस्त नेशनल रिमोट सेंसिंग दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतरिक्ष क्षेत्र में इस उन्नति का सबसे बड़ा श्रेय इसरो को दिया जाता है, जिसकी स्थापना डॉ विक्रम साराभाई ने की थी।वैज्ञानिक डॉ हरिओम वत्स ने वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को रेखांकित करते हुए चंद्रयान -3 मिशन, इसके उद्देश्यों और इसकी स्मारकीय उपलब्धियों पर चर्चा की। छात्रों के साथ एक आकर्षक शैक्षणिक सत्र और प्रदर्शन में चंद्र अन्वेषण की आकर्षक यात्रा के बारे में विस्तार से बताया गया।उपग्रह मौसम विज्ञान के अनुभवी विशेषज्ञ डॉ. आलोक के. माथुर ने आम आदमी के लिए सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोगों के बारे में बताया और बताया कि कैसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कृषि और आपदा प्रबंधन सहित विभिन्न क्षेत्रों को लाभ पहुंचाती है। सेमिनार में एसीआईसी मेरठ फाउंडेशन, सैट लैब,इसरो, कंप्यूटर साइंस विभाग का सहयोग रहा।
एमआईईटी के कैंपस निदेशक डॉ एसके सिंह,डॉ अनुराग एरोन,डॉ विकास श्रीवास्तव, प्रो मुकेश रावत, प्रो रामबीर सिंह, डॉ. स्वाति शर्मा, डॉ नेहा मित्तल, डॉ बृजेश गुप्ता उपस्थित रहे।
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