मेरठ। एमआईईटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग द्वारा सेट लैब के सहयोग से भारत में उपग्रह और अंतरिक्ष अनुप्रयोग पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रोफेसर एसी माथुर,अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की, पूर्व समूह निदेशक (सेवानिवृत्त) अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, इसरो, अहमदाबाद रहे। प्रोफेसर एसी माथुर ने अंतरिक्ष उपकरणों, उपग्रहों, रॉकेटों, उपग्रहों के विकास, अंतरिक्ष विज्ञान के भविष्य के पहलुओं, उपग्रह विकास में अवसरों आदि के बारे में बहुत जानकारीपूर्ण सत्र दिया। भारत में इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डाटा साइंस,साइबर सिक्योरिटी आदि के लिए अपार संभावना है।
उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग अब विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है जिसमें कृषि,रेलवे,सड़क और पुल,चिकित्सा प्रबंधन / दुरस्थ चिकित्सा (टेलीमेडिसिन), समय पर उपयोग प्रमाण पत्र की खरीद, आपदा पूर्वानुमान और प्रबंधन,मौसम / बारिश / बाढ़ का पूर्वानुमान आदि शामिल हैं। इसरो तकनीक का उपयोग अब कम से कम आठ प्रमुख फसलों- गेहूं,खरीफ और रबी चावल,सरसों,जूट,कपास, गन्ना,रबी सरसों और रबी दालों के लिए फसल उत्पादन पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जा रहा है। रेलवे में अभी हाल के वर्षों में मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग की सुरक्षा, रेल दुर्घटनाओं और इस तरह की अन्य गतिविधियों से बचने के लिए रेल पटरियों पर पड़ी अवरोधक वस्तुओं का पता लगाने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया। उन्होंने कहा कि इसी तरह भारतीय सीमाओं की निगरानी और विदेशी घुसपैठ पर नज़र रखने के लिए अब उपग्रह इमेजिंग का उपयोग किया जा रहा है। इस विशेषज्ञ व्याख्यान में कार्यक्रम आयोजक एवं सैटलैब संकाय प्रभारी डॉ. अनुराग एरोन, डॉ मुकेश रावत हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट, जगबीर सिंह, अमित कुमार, हेमन्त बरनवाल, शिवम आदि उपस्थित रहे।
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