मेरठ। महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान सिर्फ प्रचार तक ही सीमित नहीं रहे। आम जन सहभागिता से इसे धरातल पर उतारना होगा।
यह बात एमआईईटी बिजनेस स्कूल में आयोजित सेमिनार में सलाहकार स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ योगिता करवाल ने कही। जिसका विषय "महिलाओं की भावनाओं, स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति लचीलापन" रहा।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में 90 फीसदी महिलाएं ल्यूकोरिया की बीमारी से त्रस्त हैं। छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन का ही उपयोग करना चाहिए। किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाएं अभी भी अपने मूल अधिकारों से अनजान हैं और कन्या भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर उत्पीड़न जैसे मुद्दे महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव छोड़ते हैं। इन मानसिक मुद्दों का सामना करना महत्वपूर्ण है, जिन्हें संभाला नहीं जा सकता है, जिससे तनाव और अवसाद हो सकता है। रोज की भागदौड़ में हम सारे काम तो निपटा लेते हैं, लेकिन स्वयं की देखभाल में कोई रुचि नहीं रखते हैं। उन्होंने बालिकाओं को स्वच्छता और स्वास्थ का खास ध्यान रखने की सलाह दी। छात्रों को बताया कि कार्यस्थलों पर स्थितियों से कैसे निपटा जाए और महिलाओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता के मुद्दों पर चर्चा की।
इस अवसर पर डीन डॉ देवेंद्र कुमार अरोड़ा ,डॉ वैशाली गोयल, डॉ प्रियंका डालमिया और एमबीए की छात्राएं मौजूद रही।
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