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पर्यावरण का सरंक्षण करते तो न होती आक्सीजन की कमी: अतुल जैन

  •  पर्यावरण का सरंक्षण करते तो न होती आक्सीजन की कमी: अतुल जैन

  • हर किसी को लगाना चाहिए एक पेड और करनी चाहिए देखरेख

  • विश्व पर्यावरण दिवस पर वेबिनार का आयोजन





Campus Adda / Editor Ajay Chaudhary

मेरठ। पर्यावरण का सरंक्षण करते तो कोरोना महामारी में आक्सीजन की कमी न होती। हर किसी को एक पेड लगाना चाहिए तथा उसकी देखरेख भी करनी चाहिए। केवल पौधा लगाने से काम नहीं चलने वाला, उसका सरंक्षण करना भी बहुत जरूरी है। दिन ब दिन कंक्रीट के जंगल बढते जा रहे है, और पेड काटे जा रहे है। लेकिन जिस हिसाब से पेडों का कटान हो रहा है उस हिसाब से पेडों को लगा कोई नहीं रहा। जो लगा रहे है वह उसकी देखरेख नहीं कर रहे। यह बात चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के सौजन्य से ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्य अतिथि दीन दयाल शोध संस्थान दिल्ली के प्रमुख सचिव अतुल जैन ने कही।

उन्होंने कहा कि प्रकृति हममें रची बसी है इस बात पर जोर, पौराणिक कथाओं में प्रकृति के किस्से, पंचतंत्र में कहानियाँ भी प्रकृति संरक्षण के बारे में बताती हैं, समुद्र के तट पर बसे मछुआरों द्वारा उंतपदम मबवसवहल नेजमदंदबम को अपनी परंपरा का हिस्सा बनाना,  ईशावास्य उपनिषद  के सूत्र है -तेन त्यक्तेन भुंजीथाः! को मछुआरों के जाल के प्रेम और मछलियों के प्रजनन काल में मछली पकड़ना बंद करना के माध्यम से समझाया जा सकता है। 

अमृता देवी बिश्नोई द्वारा 12 सितम्बर 1730 में चलाया गया आंदोलन जो 20 वीं सदी के चिपको आंदोलन की प्रेरणा था, और पर्यावरण के साथ एकात्म दर्शन पर जोर अर्थव वेद की ऋचा “माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याःसे शुरू होकर , आज हो रही आक्सीजन की किल्लत, तक मंथन किया गया है। विशिष्ट अतिथि मध्य प्रदेश सरकार में पूर्व बाल व महिला विकास मंत्री, व शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस जी ने कहा कि पर्यावरण को हमको अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। जिस प्रकार से हम प्रतिदिन भोजन करते है उसी प्रकार से हमको एक एक पौधे की देखरेख करनी होगी। केवल पौधे लगाने से काम नहीं चलेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 नरेंद्र कुमार तनेजा ने कहा कि धरती पर जीवन के लालन व पालन के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है। वह प्रत्येक तत्व जिसका उपयोग हम जीवित रहने के लिए करते है, वह सभी पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। जैसे हवा, पानी, प्रकाश, भूमि, पेड, जंगल और अन्य प्रकृति तत्व। हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यावरण के लिए चिंताओं को 2 विषय वक्ताओं-बिहार के केंद्रीय विश्वविद्यालय से प्रो0 उमेश कुमार सिंह और बीएनएचएस बम्बई के वरिष्ठ पक्षी विज्ञानी डॉ रजत भार्गव, द्वारा विस्तृत से चर्चा की गई।

विवि की पर्यावरण नोडल अधिकारी प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय की एक टीम को राज्य स्तर पर प्रथम पुरस्कार तथा एक छात्र ने पीएसजी मंच पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ वक्ता का इनाम जीता है। विश्वविद्यालय ने वन्यजीव विभाग के साथ चल रहे सहयोग में मानव जानवरों के संघर्ष का अध्ययन भी किया है। इस कार्यक्रम की मेजबानी प्राणी विज्ञान विभाग की ओर से जूलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो नीलू जैन गुप्ता ने की। इस अवसर पर उपस्थित 127 लोगों के बीच कई महत्वपूर्ण गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 


प्रो0 नीलू जैन ने बताया कि इस सत्र में पक्षी संरक्षण, सुसंगतता, प्रजातियों के विलुप्त होने, पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण और बहाली, ताजे पानी की कमी, गंगा कार्य योजना, नमामि गंगे, 80 अनुपचारित पानी नदी में समुद्र में जाने का रास्ता, ग्रामीण परिप्रेक्ष्य में वर्षा जल संचयन पर चर्चा शामिल थी तालाब बनाने और भूजल को रिचार्ज करने, अमेरिका द्वारा अतिरिक्त ऊर्जा खपत, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, पॉलिथीन के उपयोग को कम करने, पुनः उपयोग-पुनर्चक्रण, आवास का सिकुड़ना, जलवायु परिस्थितियों को बदलना, हाल ही में दो चक्रवातों का आना, सतत विकास। प्रोफेसर वाई विमला प्रति कुलपति,चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया ।


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