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एम्स की रिसर्च:आर्थराइटिस और ग्लूकोमा के इलाज में योग असरदार

 

एम्स की रिसर्च:आर्थराइटिस और ग्लूकोमा के इलाज में योग असरदार, यह थैरेपी की तरह काम करता है; सूजन और घाव को घटाने का काम करता है




Campus Adda / Editor Ajay Chaudhary

आर्थराइटिस और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों में भी योग असरदार है। एम्स के एक्सपर्ट्स ने अपनी हालिया रिसर्च में इसकी पुष्टि भी की है। एक्सपर्ट्स का कहना है, रिसर्च में साबित हो चुका है कि मेडिटेशन ग्लूकोमा और रूमेटॉयड आर्थराइटिस के इलाज एक एडिशनल थैरेपी की तरह काम करती है।


ऐसे काम करता है योग

एम्स से जुड़े राजेन्द्र प्रसाद सेंटर ऑफ ऑप्थेलेमिक साइंसेज के एक्सपर्ट्स तनुज दादा और कार्तिकेय महालिंगम का कहना है, ग्लूकोमा के मरीजों में मेडिटेशन मस्तिष्क का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ृाता है और आंखों को नुकसान पहुंचाने वाले इंट्राकुलर प्रेशर को घटाता है। यह सूजन घटाता है, घाव को भरता है और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है।

एक्सपर्ट्स कहते हैं, हालिया रिसर्च में यह जानने की कोशिश की गई कि मेडिटेशन का ट्रेब्रिकुलर मेशवर्क जीन एक्सप्रेशन पर क्या असर पड़ता है। ग्लूकोमा की बीमारी में इस जीन का अहम रोल होता है। ऐसा पाया गया कि ग्लूकोमा के मरीजों में मेडिटेशन से जीन में सकारात्मक बदलाव आता है।


क्या होता है ग्लूकोमा

यह आंखों में अंदरूनी दबाव से जुड़़ी बीमारी है, जिसके आमतौर पर लक्षण नहीं दिखाई देते। लंबे समय तक बढ़े हुए दबाव की वजह से आंखों की नस यानी ऑप्टिक नर्व डैमेज होने लगती हैं और रोशनी घटती चली जाती है। इलाज न करने पर मरीज़ हमेशा के लिए आंखों की रोशनी खो सकता है।

यह एक आम बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन, 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में इसका खतरा अधिक होता है।

रिसर्च के मुताबिक, युवाओं में बेचैनी और बुजुर्गों में डिप्रेशन के मामले कॉमन होते हैं। नेशनल हेल्थ एंड एजिंग की एक रिसर्च कहती है, मानसिक रोग और आंखों की बीमारियों में एक कनेक्शन पाया गया है। ऐसे मेडिटेशन मानसिक तौर पर राहत दे सकता है। इसलिए ग्लूकोमा के मरीजों को फायदा हो सकता है।




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