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2 और राज्यों ने 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द की:हरियाणा के बाद अब मध्य प्रदेश और गुजरात में नहीं होंगे एग्जाम

 2 और राज्यों ने 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द की:हरियाणा के बाद अब मध्य प्रदेश और गुजरात में नहीं होंगे एग्जाम; UP, राजस्थान समेत 24 राज्यों में फैसला एक-दो दिन में



Campus Adda | कोरोना से बने हालात के मद्देनजर केंद्र सरकार ने मंगलवार को CBSE 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी। हरियाणा ने भी इसी दिन 12वीं बोर्ड एग्जाम न कराने का फैसला लिया। इसके ठीक एक दिन बाद यानी बुधवार को पहले गुजरात ने और फिर थोड़ी ही देर बाद मध्य प्रदेश ने भी अपनी बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने की घोषणा कर दी।

मध्य प्रदेश में 12वीं के 11 लाख और गुजरात में 6.83 लाख छात्र हैं। देश के 28 राज्यों में से सिर्फ बिहार में 12वीं और 10वीं दोनों की बोर्ड की परीक्षाएं कराई जा चुकी हैं। 12वीं में 13.4 लाख छात्र शामिल हुए थे। अब बचे 24 राज्यों में अगले एक-दो दिन में फैसला लिया जा सकता है। 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से अधिकांश में CBSE बोर्ड के जरिये ही परीक्षाएं ली जाती हैं।


UP, राजस्थान और महाराष्ट्र में फैसला जल्द


उत्तर प्रदेश: CBSE और ICSE के बाद अब UP बोर्ड 12वीं का एग्जाम भी कैंसिल हो सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही इसका ऐलान कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पहली बार बगैर परीक्षा दिए 12वीं के 26 लाख स्टूडेंट्स पास हो जाएंगे। बोर्ड के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा। डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने भी इस ओर इशारा किया है। इससे पहले यूपी बोर्ड 10वीं की परीक्षा कैंसिल कर चुका है।

राजस्थान: राज्य में दसवीं व बारहवीं क्लास के 21 लाख स्टूडेंट्स हैं। इनके एग्जाम का फैसला बुधवार को राजस्थान सरकार की कैबिनेट मीटिंग में होगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इस संबंध में आठ-दस प्रस्ताव सरकार को सौंप दिए हैं। राज्य में CBSE भी बोर्ड एग्जाम रद्द किए जा चुके हैं। इससे राजस्थान के करीब सात सौ स्कूल्स के 65 हजार स्टूडेंट्स को राहत मिली। राजस्थान में 10वीं क्लास के करीब 11 लाख स्टूडेंट्स हैं, जबकि 12वीं क्लास के 10 लाख स्टूडेंट्स हैं।

महाराष्ट्र: राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा है कि बेशक 12वीं के एग्जाम्स किसी स्टूडेंट की जिंदगी का अहम पड़ाव होते हैं। लेकिन मौजूदा हालात में हमारे बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। महाराष्ट्र सरकार से क्लास 12 स्टूडेंट्स के लिए नॉन-एग्जामिनेशन रूल की मांग की गई है। राज्य जल्द ही बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए परीक्षा पर अंतिम फैसला लेगा। हालांकि तय शेड्यूल के मुताबिक 12वीं कक्षा की परीक्षा 23 अप्रैल से और 10वीं की परीक्षा 29 अप्रैल से शुरू होनी थी। राज्य में 16 लाख से ज्यादा छात्र परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं।


परीक्षा को लेकर राज्यों का क्या सुझाव था?

कुछ दिन पहले 12वीं की परीक्षा को लेकर राज्यों ने अपने सुझाव केंद्र सरकार को भेजे थे। इनमें 12 राज्यों ने कहा कि कम अवधि के केवल 3-4 पेपर लिए जाएं। दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान समेत 8 राज्यों ने कहा कि परीक्षा से पहले सभी छात्रों को वैक्सीन दी जाए या परीक्षा रद्द की जाए। हालांकि, CBSE पर फैसला होने के बाद माना जा रहा है कि ज्यादातर राज्य अपने बोर्ड की परीक्षा में भी यही पैटर्न अपनाएंगे, क्योंकि सुझाव देते वक्त भी यही बात राज्यों ने कही थी।

दिल्ली ने सुझाव दिया था कि अगर केंद्र फाइजर के टीके का इंतजाम कर सके, जो 12 साल से बड़े बच्चों को लगाई जा रही है, तो फिर सभी बच्चों के टीकाकरण के बाद परीक्षा हो सकती है। महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, मेघालय, अरुणाचल, तमिलनाडु और राजस्थान ने भी परीक्षा से पहले टीके का सुझाव दिया था।

महाराष्ट्र ने ऑनलाइन परीक्षा की बात भी कही थी। यूपी, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, असम, हिमाचल, चंडीगढ़, सिक्किम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और ओडिशा चाहते थे कि सिर्फ मुख्य विषयों की परीक्षा हो और अवधि कम हो। परीक्षाएं अपने ही स्कूल में हों। कर्नाटक, पुड्‌डुचेरी CBSE पर फैसले के बाद वही पैटर्न अपनाने पर राजी थे।

उत्तर प्रदेश ने कहा था कि सहमति बनती है तो वे एक माह में राज्य बोर्ड की परीक्षा आयोजित कर नतीजे भी घोषित कर देंगे।

छत्तीसगढ़ में 1 से 5 जून के बीच घरों में ऑफलाइन परीक्षा की तैयारी की थी। लेकिन, अंतिम फैसला बाकी है।



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